नव वर्ष हर धर्म का अलग होता है। ज्यादातर देश ईसाई धर्म के, मुस्लिम, बौद्ध, हिन्दू धर्म, और अंत में पारसी को मानने वाले। ज्यादातर सभी देश में नव वर्ष का आगमन उनके धर्म के अनुसार ही मनाया जाता है।
1 जनवरी अंग्रेजी का नववर्ष है और प्रायः सभी देशों में मनाया जाता है इसका एक सामान्य कारण शायद पुरे विश्व को एकसार बनाना ही था ताकि सभी देशों में समय, वार, दिनाँक, महीना, हर देश में एक ही हो जिससे कोई भ्रम ना हो, अच्छी बात है सभी ने इसे राजकीय कार्यो के लिये अपनाया। पर किसी भी देश ने अपने धर्म के नववर्ष को अनदेखा नहीं किया।
मुस्लिम का नया साल होता है और वो हिजरी कहलाता है।
> ▪️Before Christ, (BC) यानी ईसा से पहले!
> ▪️After Christ (AC) यानी ईसा के बाद!
मतलब ईसा के बाद ईसाई धर्म और नया वर्ष आया परंतु BC जो अंग्रेजों ने ही दिया था। तो ईसा से पहले BC क्या था…? जी हाँ उससे पहले विक्रम संवत था जो सम्राट विक्रमादित्य ने चलाया था भारत को एक सूत्र में लाने के लिए।
इस विक्रम संवत से 5000 साल पहले इस धरती पर भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप में अवतरित हुए, उनसे पहले भगवान राम, और अन्य अवतार हुए यानी कहा हमारा हजारों वर्ष पुराना हमारा सनातन धर्म जरा सोचिए...
सीधे-सीधे शब्दों में हिन्दू धर्म ही सब धर्मों की जननी है।
मैं आपको यह बतलाना चाहता हूँ कि इस इंग्लिश कलेण्डर के बदलने से हमारा वर्ष नहीं बदलता…? हमारा कर्मकांड रीति रिवाज सब अपने ही कलेण्डर से ही चलते हैं।
जब आप पैदा हुए पंडित जी से पूछा बच्चा मूल में तो पैदा नहीं हुआ…? बच्चे के ग्रह गोचर कैसे हैं…? पंडित जी ने पत्रा देखा और आपकी जन्म कुंडली बनाई वो पंचांग ही हिंदू कैलेंडर है।
हमारा नामकरण हिन्दू पंचांग (पत्रे) से हुआ, मंगल दोष हिन्दू पत्रे से निकला, विवाह मिलान हिन्दू पंचांग से हुआ, विवाह का लग्न हिन्दू पंचांग से हुआ, हमारे सारे व्रत त्यौहार हिन्दू पत्रे से निर्धारत होते हैं, मरने पर तेहरवीं भी हिन्दू पत्रे से आएगी, मत्यु के समय पंडित जी से पंचक पूछा तो वो भी हिन्दू पत्रे से देखे जाएंगे।
मकान का उदघाटन, जन्मपत्री, विवाह योग्य, स्वास्थ्य रोग, और अन्य सभी समस्याएं का निराकरण हिन्दू कलेण्डर से ही होता है। चंद्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण का समय दिन का निर्धारण भी हिंदू पंचांग से होता है।
आप जानते है कि जन्माष्टमी, होली, दीपावली, राखी, भाई दोज, करवा चौथ, एकादशी, शिवरात्रि, नवरात्रि, दुर्गापूजा, सभी विक्रमसंवत पंचांग से ही निर्धारित होते है इंग्लिश कलेण्डर में इनका कोई स्थान नहीं होता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, नया वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरु होता है। इस बार हिन्दू नववर्ष चैत्र माह के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा अर्थात ३० गते विक्रमसंवत २०८२ दिन रविवार तथा 30 मार्च 2025 के दिन होगा।
अतः समस्त सनातन धर्म प्रेमी परिवारों से विनम्र आग्रह है कि गर्वित हिन्दू चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2082 (30 मार्च 2025) दिन रविवार को अपना हिन्दू नववर्ष आरंभ हो रहा है इसलिए इस दिन ये महत्तवपूर्ण कार्य अवश्य करें। तथा सभी श्रद्धालु हिंदू भाइयों से निवेदन है कि 30 मार्च, दिन रविवार को हम सब एक साथ मिलकर अपने हिंदू नव वर्ष का शुभारंभ हर्षोल्लास और पवित्रता के साथ मनाएं। आइये अपने हिन्दू नववर्ष के शुभ अवसर पर निम्नलिखित बिंदुओं का पालन करें और दूसरों को भी प्रेरित करें।
प्रातःकाल एक साथ 5:30 बजे सूर्योदय के समय शंख, घंटा, घंटी बजाकर नववर्ष का स्वागत करें।
प्रत्येक हिन्दू अपने-अपने घरों की छतों पर धर्म-ध्वजा फहराएं।
घर के द्वार पर वंदनवार लगाएं।
पुरुष पारंपरिक सफेद वस्त्र व महिलाएं पीला या भगवा वस्त्र पहनें।
मस्तिष्क पर उस दिन माथे पर तिलक अवश्य लगाएं।
दिन के भोजन में खीर पुरी बनाकर भगवान को भोग लगाएं।
घरों पर मिष्ठान्न बनाकर देवी-देवताओं को भोग लगाएं और अपने आसपास के घरों में बांटे।
अपने-अपने घरों के द्वार को झालर, फूल और पत्तों के तोरण, एवं रंगोली से सजाएं।
सायंकाल में घर के द्वार पर 11 दीप प्रज्वलित कर नव वर्ष का अभिनन्दन करें।
प्रत्येक हिन्दू पूरे परिवार के साथ मिलकर पूजा अर्चना करें।
शुद्ध आचरण एवं शुद्ध विचारों को अपनाएं।
सामध्यानुसार परिवार में नवीन वस्त्र का उपहार दें।
राष्ट्रभक्ति एवं राष्ट्रहित की भावना को बढ़ावा दें।
सद्बुद्धि और धर्म रक्षा की प्रेरणा लें।
सभी कैम्पस/स्थानीय मंदिर में सामूहिक महा आरती का आयोजन करें।
आयोजन स्थल एवं घरों में पटका बजायें।
उत्सव का आयोजन इस प्रकार करें, कि बाल, युवा, महिलायें एवं सभी आयु वर्ग के लोग उत्सव में रूचि लें।
उत्सव स्थल पर विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन करें जैसे गायन, वाद विवाद, पारम्परिक परिधान आदि।
हिन्दु नव वर्ष के वैज्ञानिक, खगोलीय, धार्मिक ऐतिहासिक महत्व लोगों को बतायें।
अपने इष्ट मित्रों, परिजनों, रिश्तेदारों एवं शुभचिन्तकों को फोन कॉल पर हिन्दू नववर्ष की शुभकामनायें दें। और उन्हें भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।
आइये प्रकृति सम्मत हमारे हिन्दू नववर्ष का पालन पुरे उत्साह से करें। हम सब मिलकर इस दिन को सनातन संस्कृति एवं अपने वैदिक मूल्यों के अनुरूप मनाएं और नए वर्ष में धर्म, सत्य, और सदाचार की राह पर आगे बढ़ें।

