फतेहपुर में सामने आई खबर ने प्रदेश ही नहीं, पूरे देश को झकझोर दिया है। मामला एक कॉलेज छात्रा का है, जो जीव विज्ञान में ग्रेजुएशन कर रही थी। परिवार और पड़ोस के लोगों ने आरोप लगाया है कि छात्रा अचानक लाइफ़स्टाइल में बदलाव लाने लगी — उसने बुर्का पहनना शुरू किया और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने लगी।
स्थानीय लोगों का दावा है कि यह बदलाव अकेले नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक संगठित प्रयास था। कैमरे पर नमाज़ पढ़ने का वीडियो सामने आने के बाद चर्चाओं ने और जोर पकड़ लिया है। आरोप यह भी लग रहे हैं कि मेराज अंसारी नामक युवक की माँ और बहनें इस प्रक्रिया में सक्रिय थीं और पूरी योजना जमात के जरिए छात्रा को सीमा पार भेजने तक की थी।
सबसे गंभीर आरोप यह है कि यदि यह साजिश पूरी हो जाती, तो छात्रा शायद कभी वापस अपने परिवार तक नहीं लौट पाती।
इस घटनाक्रम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
- क्या यह व्यक्तिगत स्तर पर हुआ धर्मांतरण है या संगठित गिरोह का हिस्सा?
- क्या सचमुच युवतियों को बरगला कर पड़ोसी देश भेजने की तैयारी थी?
- प्रशासन और खुफिया एजेंसियों की भूमिका यहाँ कितनी सक्रिय है?
- स्थानीय प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है। हालांकि फिलहाल स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।
फतेहपुर की यह कहानी केवल एक लड़की या एक परिवार की नहीं है, बल्कि उस सामाजिक और साम्प्रदायिक संवेदनशीलता से जुड़ी है, जो देश की एकता और सुरक्षा दोनों से सीधा जुड़ाव रखती है। सच्चाई क्या है, यह जांच से ही सामने आएगा, लेकिन इतना तय है कि यह मसला हल्के में लेने लायक नहीं है।
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