क्या हिन्दू IAS, IPS, जज, वकील, प्रोफेसर, उद्योगपति का अपने धर्म के प्रति कोई कर्तव्य नहीं है…?

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महाकुंभ में 60 करोड़ से ज्यादा हिंदुओं ने सब बाधाएं पार करते हुए और तकलीफ सहते हुए महाकुंभ में स्नान किया। लेकिन क्या आपके आसपास के IAS, IPS, IRS, IFS, जज या वकील महाकुंभ गये…?


बड़े से बड़ा व्यापारी, उद्योगपति और गरीब से गरीब हिंदू वहाँ पहुंचा, लेकिन हिंदुओं का एक वर्ग अभी भी गुलामी की मानसिकता से बंधा हुआ है।


यह वर्ग हिंदू होने का कर्तव्य भूल चुका है जबकि राजकीय सेवा में रहते हुए और बाद में आम जनता के पैसे से अच्छी-खासी पेंशन लेते हुए इन्हें अपना हिंदू कर्तव्य पूरा करना चाहिए।


अब समय आ गया है कि इस वर्ग से भी सवाल पूछा जाए। और इसका एक बड़ा कारण अभी सामने आया है…


अश्विनी उपाध्याय जी और अन्य ने पूजा स्थल कानून (Places of Worship Act) को समाप्त करने और काशी, मथुरा, भद्रकाली, भोजशाला, अटाला जैसे पौराणिक मंदिरों को वापस लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया है।


और मुस्लिम समाज के कई भूतपूर्व नौकरशाह, इलेक्शन कमिश्नर, लेफ्टिनेंट गवर्नर, न्यायाधीश, प्रोफेशर, जाने माने वकील, सांसद, विधायक, मंत्री इस लड़ाई में शामिल हो गए हैं।


उनका कहना है कि मुगलों द्वारा तोड़े गए मंदिर हिंदुओं को वापस नहीं मिलना चाहिए और पूजा स्थल कानून बरकरार रखा जाए।


लेकिन सवाल यह उठता है कि एक भी रिटायर्ड हिंदू IAS, IPS, जज, सांसद, विधायक, मंत्री, राज्यपाल अभी तक अश्विनी उपाध्याय जी के समर्थन में क्यों नहीं आया।


कई करोड़पति और अरबपति हिंदू वकील हैं लेकिन वे सब मुस्लिम पक्ष में बहस कर रहे हैं।


केवल अश्विनी उपाध्याय और विष्णु शंकर जैन जैसे जीवन खपाने वाले वकील ही हिन्दुओं के लिये संघर्ष कर रहे हैं। उन 20 लाख वकीलों से भी मेरा सवाल है जब तक हिंदू हैं तब तक ये न्यायालय है, बाद में शरिया कोर्ट में उनकी कोई जरूरत नहीं रहेगी और मजदूरी करनी पड़ेगी।


और अब समय आ गया है इस मानसिकता को धिक्कारने का…


हिन्दुओं के पैसे से मौज करेंगे लेकिन उनके लिए खड़े नहीं होगे…?


एक कड़वा सच यह भी है कि, ज्यादातर IAS, IPS अपने बच्चों को विदेश भेज चुके हैं इसलिए उनको इस देश का क्या होगा, हिंदुओं का क्या होगा, इसकी कोई चिंता नहीं है। अगर उनके बच्चे यहाँ रह रहे होते तो वे देश की चिंता करते लेकिन जब उन्हें यहाँ रहना ही नहीं है तो आखिर किस बात की चिंता करें। 


बाबर, हुमायूं, अकबर, तुगलक, औरंगजेब आदि के अवैध कृत्यों को वैध बनाने वाले पूजा स्थल अधिनियम के समर्थन में 22 वरिष्ठ अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट में पेश हो रहे हैं और उनमें से 16 हिंदू हैं।


  • 01. कपिल सिब्बल
  • 02. अभिषेक मनु सिंघवी
  • 03. डॉ० राजीव धवन
  • 04. ⁠राजू रामचन्द्रन
  • 05. दुष्यंत दवे
  • 06. ⁠संजय पारिख
  • 07. ⁠डॉ मेनका गुरुस्वामी
  • 08. ⁠विभा दत्ता मखीजा
  • 09. ⁠वृंदा ग्रोवर
  • 10. ⁠शशि किरण
  • 11. ⁠पीवी दिनेश1
  • 2. ⁠सीयू सिंह
  • 13. शेखर नफाडे
  • 14. ⁠संजय हेगड़े
  • 15. ⁠पीवी सुरेंद्रनाथ
  • 16. ⁠प्रशांत चन्द्र सेन
  • 17. सलमान खुर्शीद
  • 18. हुज़ेफ़ा अहमदी
  • 19. यूसुफ हातिम मुछाला
  • 20. ⁠निज़ामुद्दीन पाशा
  • 21. ⁠एम आर शमशाद
  • 22. ⁠पी विल्सन


एक भी मुस्लिम वकील मुगलों के अवैध कार्य के खिलाफ नहीं है। लेकिन 16 सीनियर हिंदू वकील मुगलों के अवैध कार्य को उचित ठहराने के लिए बहस कर रहे हैं।


जब तक पूजा स्थल कानून खत्म नहीं होगा तब तक काशी, मथुरा, भद्रकाली, भोजशाला, अटाला और अन्य मंदिरों को हम प्राप्त नहीं कर सकते हैं।


यदि आपको लगता है कि हिन्दुओं के पैसों पर ऐश करने वालों से सवाल पूछना चाहिये तो इस मैसेज को अधिक से अधिक लोगों तक शेयर करें।


परिवर्तन एक दिन में नहीं आता है लेकिन उसकी शुरूआत कभी ना कभी अवश्य होती है। और महाकुंभ ने दिखा दिया कि हिंदू अब जाग चुका है।

गर्व से कहो हम हिन्दू हैं!

पूछो सबसे क्या तुम्हें हिन्दू होने का गर्व है!

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