धर्म की सेवा आम आदमी कैसे करे…?

0

2 मिनट समय निकालकर लेख अंत तक अवश्य पढ़े।🧵👇

WhatsApp Channel Join Now
WhatsApp Chat Chat Now

मुझे बहुत लोग मिलते हैं जो धर्म का काम करना चाहते है, शुद्धिकरण का काम करना चाहते हैं, पर वो ये नहीं जानते कि ये काम कैसे किया जाए।


देखिए 5 विरोधी गुट हैं


१. मुस्लिम

२. ईसाई

३. भीम वाले

४. लेफ्टिस्ट 

५. खालिस्तानी


अब कुछ चीजें याद रखिए।


(क) शत्रुबोध भले ही आप कितने भी कोमल हृदय हो, इस बात में कोई संदेह मत रखो कि ये आपके शत्रु है, मेरा अब्दुल वैसा नहीं है ये सोच सबसे बड़ी बेवकूफी है क्योंकि अगर आप नहीं भी मानेंगे, वो तो आपको शत्रु मानते ही हैं, और आपकी जड़ निरंतर काट ही रहे हैं। उनको फंड करने के लिए डॉलर में, दीनार पैसे विदेशों से आते हैं। मगर हमारे पास सीमित संसाधन हैं। 


(ख) निष्ठुरता आप जीवित तभी रह पाएंगे जब आप अपने शत्रु को खत्म करेंगे, शारीरिक नहीं मानसिक तौर पर, और उस लक्ष्य को पाने के लिए बेरहम बन जाना होगा। लक्ष्य प्राप्ति के लिए जो भी करना पड़े करें। 


(ग) संख्याबल जहां-जहां आपकी संख्या कम होगी, वहां-वहां से आपका निकाले जाना तय है। इतिहास उठाकर देख लो, अखंड भारत का 73% भाग हम खो चुके हैं, बाकी पर हमारा अधिकार रहेगा या नहीं ये संख्याबल से तय होगा। अतः अपनी बढ़ाइए उनकी कम कीजिए। 


(घ) परमसत्य सनातन ही सत्य है बाकी सब कलियुग का छलावा है, कुछ 1-2 हजार वर्ष पुराना है बस। जबकि आपका इतिहास लाखों वर्षों का है, हर क्षण इसी सत्य के साथ जीना है। हमारे कुछ शास्त्रों में कालान्तर में राक्षसों ने भ्रष्टता मिलाई है, हमें उस झूठ को पहचानना सीखना है। उदाहरण; रामायण का उत्तरकांड, कृष्ण के चक्रधारी रूप के बजाय, प्रेमी रसिया रूप।


(ड़) एकता याद रखिए जाति अंग्रेजों ने हमें सिखाई, लेकिन शास्त्र सदैव वर्ण की बात करता है, जो जन्म पे आधारित नहीं है। और आधुनिकाल में टेक्नोलॉजी के कारण वर्ण की आवश्यकता भी नहीं है। अब AI इंजीनियर को आप ब्राह्मण कहोगे या वैश्य…? अतः केवल हिंदू होना ही एकमात्र पहचान है। आरक्षण हिंदू एकता विरोधी है, उसको खत्म किए बिना हिंदू एक होगा ही नहीं। उसके लिए सड़क पर लड़ना पड़ेगा।


(च) ज्ञान हिन्दू की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि वो अपने धर्म ग्रंथों को पढ़ता नहीं है, और उनका सबसे बड़ा फायदा इस बात का है कि, एक ही किताब है, उसको ही बिना दिमाग लगाए रट लेना है बस। हमारा वैदिक साहित्य लाखों करोड़ों साल तक पढ़ेंगे तब भी नहीं खत्म होगा। पर श्रीमद्भगवद्गीता, वाल्मीकि रामायण, ४ वेद, मुख्य उपनिषद, शिव पुराण इतना तो पढ़ना ही पड़ेगा। साथ ही उनका भी पढ़ना पड़ेगा ताकि आप उनकी बेवकूफियों को उनके सामने उजागर कर पाओ।


(छ) कोख चाहे कुछ भी हो जाए, अपनी बहन-बेटियों की कोख उनको राक्षस पैदा करने के लिए नहीं देनी है। और अपने पुत्र को सिखाना है कि, अंतरधर्म ही विवाह करना है और सम्मान से बहु को रखना ताकि वो अपनी ४ और सहेलियों को भी सम्मान के जीवन के लिए प्रेरित कर पाए।


(ज) हिन्दू संस्था हर गांव-गांव शहर-शहर में, व्हाट्सएप, फेसबुक, टेलीग्राम ग्रुप बनाएं और हिंदू हितों की रक्षा के लिए तत्पर रहें। ग्राउंड पे उतरने के लिए तैयार रहें। बंटेंगे तो कटेंगे ही मूल मंत्र है।


(झ) तर्क Vs आलोचना अपने शास्त्रों से या और किसी बात से आपके मन में संशय है तो ज्ञानी गुरु के सामने अपना प्रश्न रखें, अपने सुविधा के अनुसार धर्म मानना छोड़ना पड़ेगा, ये मानेंगे, ये नहीं। आलोचना तो करनी ही नहीं है, हमें अपने धर्म की हर चीज पे गर्व है। हो सकता है कुछ चीजें हमारा तुच्छ दिमाग समझने में सक्षम न हो, वहां गुरु ज्ञान से भवसागर पार होगा। 


(ञ) धार्मिक प्रतीक घर से बाहर बिना टीका लगाए नहीं निकालना है, खासकर ऑफिस जाना है तो तिलक लगाकर ही जाना है। अगर आपके कुछ सहकर्मी शुक्रवार को नमाज पढ़ने जाते हैं तो आप हर मंगलवार की सुबह श्री हनुमान जी के मंदिर के बाद ही ऑफिस जाओ। तथा क्रिसमस, ईद के फजुल मैसेज डालने से बचें।


वैसे तो धर्म की सेवा हर एक धार्मिक को प्रत्यक्ष रूप से करनी ही चाहिए। पर कई बार हम ऐसी जगहों पर होते हैं कि अपना मन मारना पड़ता है। अगर आप खुद ग्राउंड पे नहीं लड़ सकते तो ऐसे लोगों का सहयोग अवश्य करें जो आज धर्म के लिए लड़ रहें हैं।

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !