गर्मी आ गई है, ऐसे में अपने साथ-साथ पशु-पक्षियों का भी ध्यान रखना हमारा कर्तव्य है।

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गर्मी में पानी को अमृत के समान माना जाता है, मनुष्य को प्यास लगती है तो वह कहीं भी मांग कर पी लेता है, लेकिन मूक पशु-पक्षियों को गर्मी के दिनों में प्यास लगने पर इधर से उधर तड़पना पड़ता है।

हालांकि जब वे प्यासे होते हैं तो घरों के सामने दरवाजे पर आकर खड़े हो जाते हैं। कुछ लोग इन्हें पानी पिला देते हैं तो कुछ लोग भगा भी देते है। इस गर्मी में पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए हम सभी को प्रयास करना चाहिए।

गर्मियों में कई परिंदों व पशुओं की मौत केवल पानी की कमी के कारण हो जाती है। ऐसे में हम सभी का थोड़ा सा प्रयास घरों के आसपास उड़ने वाले परिंदों की प्यास बुझाकर उनकी जिंदगी बचा सकता है। सुबह आंखें खुलने के साथ ही घरों के आस-पास गौरेया, मैना व अन्य पक्षियों की चहक सभी के मन को मोह लेती है। घरों के बाहर फुदकती गौरेया बच्चों सहित बड़ों को भी अपनी ओर आकर्षित करती है। गर्मियों में घरों के आसपास इनकी चहचहाहट बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि लोग पक्षियों से प्रेम करें और उनका विशेष ख्याल रखें।

आज भारत के समस्त जिलों में गर्मी बढ़ने लगी है। यहाँ का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस पार हो गया है। आने वाले सप्ताह और ज्येष्ठ माह में और अधिक गर्मी पड़ने की संभावना है। ऐसे में गर्मी के दिनों में मनुष्यों के साथ-साथ सभी प्राणियों को भी पानी की अति आवश्यकता होती है। मनुष्य तो पानी का संग्रहण कर रख लेता है, लेकिन परिंदे व पशुओं को ऐसी तपती गर्मी में यहां-वहां पानी के लिए भटकना पड़ता है। पानी न मिले तो पक्षी बेहोश होकर गिर पड़ते हैं।

गर्मी में पक्षियों के लिए भोजन की भी कमी रहती है। पक्षियों के भोजन कीड़े-मकोड़े गर्मियों में नमी वाले स्थानों में ही मिल पाते हैं। खुले मैदान में कीड़ों की संख्या कम हो जाती है, जिससे पक्षियों को भोजन खोजने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जंगलों में पेड़ों के पत्ते झड़ जाते हैं, साथ ही जल स्त्रोत भी सूख जाते हैं। वहीं मवेशियों के लिए भी चारागाह के अलावा खेतों में पानी की समस्या होती है, इस वजह से पानी के साथ-साथ भोजन की भी कमी से मवेशियों को जूझना पड़ता है।

क्या कहते हैं पशु चिकित्सक…?


पशु चिकित्सक डॉ० केके पटेल ने बताया कि साल्ट और एनर्जी पक्षियों की किडनी के फंक्शन के लिए जरूरी है। इसकी पूर्ति खनिज-लवण युक्त पानी से हो सकती है। गर्मी में अपने घरों के बाहर, छतों पर पानी के बर्तन रखें और हो सके तो छतों पर पक्षियों के लिए छाया की व्यवस्था भी करें। पक्षियों के शरीर में इलेक्ट्रोलाइट की मात्रा संतुलित रहे, इसके लिए पानी में गुड़ की थोड़ी मात्रा मिलानी चाहिए। इससे गर्मी में तापमान से राहत मिलती है और शरीर में पानी की कमी नहीं होती। वहीं मवेशियों के लिए भी कोटना अपने घरों के सामने रखना चाहिए जो अपशिष्ट जल घर से बाहर फेंका जाता है, वह कोटना में डाल दें तो मवेशियों को भी पानी मिल सकता है।

क्या करें उपाय…?


1. घरों के बाहर पानी के बर्तन भरकर टांगें, या बड़ा बर्तन अथवा कोटना पानी भरकर रखें, जिससे मवेशी व परिंदे पानी देखकर आकर्षित होते हैं।
2. छत में भी पानी की व्यवस्था करें, छायादार जगह बनाकर वहां पानी के बर्तन भर कर रखें।
3. पक्षियों के लिए चना, चावल, ज्वार, गेंहूं आदि जो भी घर में उपलब्ध हो उस चारे की व्यवस्था छतों में करें।
4. कम पानी वाले जल स्रोतों को गंदा न करें, इससे पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था हो सकती है।

यह संदेश जन जन तक पहुंचाना है, पक्षियों की सुरक्षा होगी, तो पर्यावरण की सुरक्षा होगी।

ये पक्षी बचाव पर घोषवाक्य आपको जरूर एक शिक्षा और नैतिक मूल्य का पथ मार्गदर्शन है, इससे सीख के तौर पर अपने जीवन में उतारिये और अन्य जीव जगत के अस्तित्व के प्रति दयाभाव का दायरा व्यापक कर इंसान होने का परिचय दिजिये।

आशा है आपको ये विचार और घोषवाक्य जरूर पसंद आये होंगे, अच्छा लगे तो परिवार के अन्य सदस्यों तथा दोस्तों को साझा कर उन्हें इन अनमोल जानकारी से अवगत कराईये। अतः मुझसे जुड़कर आपका अमुल्य समय देने के लिये हृदय भाव से धन्यवाद 🙏

अगर आप ने पशु-पक्षियों के लिए इस गर्मी में कोई व्यवस्था की हुई है तो up.mygov.in पर जाकर अवश्य साझा करें।

------: सेवा परमो धर्मः॥ :------

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