संभल और कश्मीर की कहानी एक जैसी है ।
कश्मीर में जब लाखों हिंदुओं का 1989 और 1990 में पलायन हुआ तो देश का गृहमंत्री एक मुसल मान था, जिसका नाम था मुफ्ती मुहम्मद सईद (पूर्व मुख्यमंत्री और महबूबा मुफ्ती का पिता) और जब संभल में 1978 में संभल से हिन्दूओं का भारी पलायन हुआ तो उस वक्त संभल का डीएम भी एक मुसल मान ही था जिसका नाम था फरहत अली ।
2 दिसम्बर 1989 को पहली बार भारत का गृहमंत्री एक मुसल मान बना था, 10 नवंबर 1990 तक मुफ्ती मुहम्मद सईद गृहमंत्री रहा और बस 11 महीने के कार्यकाल में ही कश्मीर घाटी हिन्दू विहीन हो गई ।
इंडिया टीवी ने संभल के 1978 के दंगा पीड़ितों पर एक रिपोर्ट की थी और इसी रिपोर्ट में दंगों के चश्मदीद रहे हिन्दू व्यापारियों ने बताया है कि वो दंगा रोकने के लिए कर्फ्यू की मांग लेकर उस वक्त संभल के डीएम रहे फरहत अली के पास गए थे, आतंकी भीड़ नर संहार कर रही थी,
हिन्दू व्यापारी फरहत अली के कदमों में गिरकर रोने लगे, गिड़गिड़ाने लगे, अपनी बहन बेटियों की इज्जत की भीख मांगने लगे ।
लेकिन फरहत अली ने ना तो फोर्स भेजी और ना ही कोई सुरक्षा दी । उल्टे हिन्दू नेताओं को गिरफ्तार किया गया जिसके बाद मुस्लि म दरिंदों सके हौसले बुलंद हो गए और वो सड़कों पर हिन्दू महिलाओं का बला त्कार सरेआम करने लगे ।
हमास के आतंकि यों की तरह ये दरिंदे भी हिन्दू औरतों का सामूहिक बलात्कार करके उनके स्त नों के निप्पल काटर खून बहाकर बेदर्दी से मारने लगे ।
ये नंगानाच देखकर लाखों हिन्दू जान बचाने के लिए संभल से मुरादाबाद और दूसरे जिलों में भाग निकले, और दुर्योग देखिए कि आज मुरादाबाद भी एक मुस्लिम बहुल जिला बन चुका है कहां कहां से भागेंगे हिन्दू ।
ये 1978 की घटना थी और 2024 में रिकॉर्ड 52 मुस्लिम आईएस बने हैं, भारत के सरकारी मदद प्राप्त संस्थाओं में लाखों फरहत अली मुफ्त आईएसएस की कोचिंग ले रहे हैं !
17 अप्रैल 2014 को नवभारत टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की जारी सिविल सर्विसेज मेरिट लिस्ट, 2023 में 50 से ज्यादा मुस्लिम कैंडिडेट्स ने जगह पाई थी।
इनमें से 5 तो ऐसे हैं, जिन्हें टॉप-100 में जगह मिली थी ।
ये सिविल सर्विसेज में अब तक मुसलमानों की सबसे बड़ी सफलता थी, ये सारे जब अफसर बनकर जिलाधिकारी बनेंगे तो फरहत अली की तरह हिन्दूओं का नर संहार ही करवाएंगे
और दुख की बात ये है कि 6 जुलाई 2019 को जनसत्ता अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार ने अल्पसंख्यकों के नाम पर आईएएस की तैयारी करवाने वाली संस्थाओं की फंडिंग में भी कई गुना वृद्धि कर दी थी ।
इससे भारत में चुने जाने वाले मुस्लिम अफसरों में रिकॉर्ड बढोतरी दर्ज की जा रही है, सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वो अपने इलाके के विधायकों और सांसदों पर दबाव डालें कि वक्फ के साथ ही अल्पसंख्यकों के नाम पर दी जाने वाली ये फंडिंग भी बंद की जाए ।
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