1 जनवरी को कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नहीं

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1 जनवरी को आखिर क्या नया हो रहा है…? 🤔


    • ना ऋतु बदली और ना मौसम!
    • ना कक्षा बदली और ना सत्र!
    • ना फसल बदली और ना खेती!
    • ना पेड़ पौधों की रंगत!
    • ना सूर्य चाँद सितारों की दिशा!
    • ना ही नक्षत्र।


    1 जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं। मानो कितना बड़ा पर्व हो। नया केवल एक दिन ही नहीं, कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए। आखिर हमारा देश त्योहारों का देश है।


    ईस्वी संवत का नया साल 1 जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर :


    (1) प्रकृति

    एक जनवरी को कोई अंतर नहीं जैसा दिसम्बर, वैसी जनवरी! और वहीं चैत्र मास में चारों तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ों पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारों तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो।


    (2) मौसम, वस्त्र

    दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर! लेकिन चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है।


    (3) विद्यालयों का नया सत्र

    दिसंबर-जनवरी में वही कक्षा कुछ नया नहीं! जबकि मार्च-अप्रैल में स्कूलों का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल।


    (4) नया वित्तीय वर्ष

    दिसम्बर-जनवरी में कोई खातों की क्लोजिंग नहीं होती! जबकि 31 मार्च को बैंकों की (ऑडिट) क्लोजिंग होती है नये बही खाते खोले जाते हैं, सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है।


    (5) कलैण्डर

    जनवरी में नया कैलेण्डर आता है, चैत्र में नया पंचांग आता है। उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं। इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग।


    (6) किसानों का नया साल

    दिसंबर-जनवरी में खेतों में वही फसल होती है! जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटती है, नया अनाज घर में आता है तो किसानों का नया वर्ष और उत्साह वर्धक हो जाता है।


    (7) पर्व मनाने की विधि

    31 दिसम्बर की रात्रि नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर शराब पीते हैं, हंगामा करते हैं, रात्रि को शराब पीकर गाड़ी चलाने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश।


    जबकि 'भारतीय नववर्ष' व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घरों-घरों में माता रानी की पूजा होती है, शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है।


    (8) ऐतिहासिक महत्त्व

    1 जनवरी का कोई ऐतिहासिक महत्व नही है! जबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म, नवरात्रे प्रारंम्भ, ब्रम्हा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध इस दिन से है।


    1 जनवरी को अंग्रेजी कैलेंडर की तारीख और अंग्रेज मानसिकता के लोगों के अलावा कुछ नहीं बदला। अपना 'विक्रमी नव संवत्' ही नया साल है। जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तियाँ, किसान की नई फसल, विद्यार्थियों की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते हैं जो विज्ञान आधारित है।


    अतः अपनी मानसिकता को बदलें एवं विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने। और स्वयं विचार करें कि क्यों मनाये हम 1 जनवरी को नया वर्ष…?


    "एक जनवरी को कैलेंडर बदलें, अपनी संस्कृति नहीं"


    आओ जागें जगायें, भारतीय संस्कृति अपनाएँ और आगे बढ़ें।

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